वन विभाग के सबसे बड़े खिलाड़ी पीसीसीएफ राव पर किसका हाँथ……पूर्व विधायक कुंजाम ने श्रीनिवास राव पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप……संगठन के किस नेता के प्रश्रय से भ्रष्ट अफ़सर हुआ मदमस्त

•Hindu Times•
सरकारे आती जाती हैं पर पूरा सिस्टम चंद अफ़सरों के हाँथो में ही रहता हैं कहते है सरकार को ऐसे चुनिंदा लोग ही चलाते है.कांग्रेस हो या भाजपा सभी सरकारे इनके इशारों में ही चलती हैं ऐसा हो भी सकता है क्योंकि इनको सरकार में आए लोगो की नब्ज पता रहती हैं.सत्ता में मूलरूप से इन्ही भ्रष्ट लोगो का कब्जा रहता है.ख़रीदने में इनको महारत हासिल रहती हैं।छत्तीसगढ़ के वन विभाग में पीसीसीएफ राव का कब्जा हैं इनके इशारे में मंत्री सहित पूरा विभाग चलता हैं.ये महाशय हर सरकार को अपने जेब में लेकर घूमते हैं.कांग्रेस की सरकार में इनके नाम की काफ़ी चर्चा थी,अरबो के कैंपा मद का खेल किया गया था.उस सरकार के समय हाथियों के साथ जंगल के जानवरो की बड़ी मौत होती थी जिसकी जाँच अगर की जाए तो बड़ा खुलासा सामने आ सकता हैं।कांग्रेस की सत्ता में मलाई खाने वाला भ्रष्ट अफ़सर भाजपा की सरकार में भी मज़े में हैं।सूत्रो के अनुसार संगठन के एक बड़े नेता को राव ने रबड़ी खिलाकर सेट कर लिया हैं कहते है यह रबड़ी स्वर्ण जड़ित थी.साथ ही हर माह एक निश्चित खुरचन इस बड़े नेता को राव के द्वारा दिया जाता हैं.कहते है इस संगठन के नेता और राव के बीच अक्सर मुलाक़ात होती है।विभागीय मंत्री को राव जैसा भ्रष्ट अफसर भाव तक नहीं देता है.
पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वन एवं जलवायु विभाग के मुखिया कैंपा राव पर कई गंभीर आरोप लगाए है। उनका दावा है कि चुनावी चंदे और तेंदूपत्ता घोटाले की शिकायत वापस लेने के लिए वन विभाग के मुखिया ने मोटी रकम की पेशकश की थी ।उन्होंने इसका पूरा ब्यौरा भी जाहिर किया। पूर्व विधायक कुंजाम का यह भी दावा है कि तेंदूपत्ता घोटाले में कई बड़े अफसर शामिल है। इनमे वन और जलवायु विभाग के प्रमुख कैंपा राव की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने राव पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। पत्रकारों से चर्चा करते हुए कुंजाम ने दावा किया कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के बोनस की रकम वितरित ना कर उसे अपने खातों में ट्रांसफर किये जाने की शिकायत सबसे पहले उन्होंने ही की थी। कुंजाम ने हैरानी जताते हुए कहा कि शिकायत के बाद अन्य संदेहियों के अलावा उनके भी घर पर छापेमारी की गई थी।
उन्होंने कहा कि प्रभावशील अफसर उनका मुँह दबाना चाहते है, जबकि वे पीड़ित आदिवासियों के हितों को लेकर लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे है। कुंजाम ने सुकमा के तेंदूपत्ता घोटाले को आदिवासियों का शोषण करार देते हुए पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। उधर पूर्व विधायक के गंभीर आरोपों के बाद राजनीति भी गरमाई हुई है। दरअसल, प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुंजाम ने यह भी दावा किया है कि हालिया पंचायत राज चुनाव में उम्मीदवारों को खड़ा करने और कई को चुनाव से हटाने के लिए वन विभाग के मुखिया लगातार उनके संपर्क में थे।
मेल-मुलाकात से लेकर नगद रकम के ब्यौरे पर तीखी टिप्पणी कर पूर्व विधायक ने कैंपा राव पर कई गंभीर आरोप लगाए है। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि तेंदूपत्ता बोनस में गड़बड़ी में डीएफओ के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई के बाद 10 मार्च को धरना दिया गया था, जिसमें मांग रखी गई कि डीएफओ को निलंबित करने से कार्रवाई पूरी नहीं होगी, बल्कि बोनस के रूप में मिले 6.54 करोड़ की राशि को आदिवासी हितग्राहियों में बांटना होगा।
कुंजाम ने एक मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि बोनस घोटाले में डीएफओ व प्रबंधक ही नहीं बल्कि कई प्रभावशील उच्चाधिकारी भी शामिल हैं। उनके मुताबिक दोषियों को बचाने के लिए दिखावे के रूप में छापेमारी की गई थी। उन्होंने कहा कि ज्यादातर तेंदूपत्ता संग्राहक गरीब आदिवासी है, उनकी मेहनत का पैसा देने की मांग करना भी अब मुश्किल हो गया है।बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में करोड़ों का तेंदूपत्ता घोटाला सामने आया है। यह वो इलाका है, जो कई वर्षों से नक्सलवाद की चपेट में है।
बुनियादी सुविधाओं से दूर शोषण के शिकार कई इलाकों में आदिवासियों की रोजी-रोटी का मुख्य सहारा जंगलों से तेंदूपत्ते का संग्रहण बताया जाता है। राज्य सरकार आदिवासी श्रमिकों को प्रतिवर्ष ना केवल चरण पादुका वितरित करती है, बल्कि उनके श्रम और मेहनत के मद्देनजर नगदी के रूप में बोनस भी वितरित करती है। सरकार के प्रति विश्वास कायम करने के लिए इन दिनों इस इलाके में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान अपनी जान की बाजी लगा कर ना केवल माओवादियों को खदेड़ रहे है, बल्कि आदिवासियों के जख्मों पर भी मलहम लगा रहे है।आमतौर पर श्रमिकों को इस तरह के बोनस की रकम उनके खातों में ट्रांसफर करने का चलन देशभर में प्रचलित है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के ऑनलाइन सिस्टम को दरकिनार कर घोटालेबाजों ने गरीब आदिवासियों की मेहनत-मजदूरी के बोनस की करोड़ों की रकम पर ही हाथ साफ कर दिया है। बस्तर में बगावत में उतारू नौजवानों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार जी-तोड़ कोशिशे कर रही है।
प्रदेश को नक्सल मुक्त राज्य बनाने के सरकार की पहल से आदिवासियों में आत्मविश्वास पैदा किया जा रहा है, इसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे है। इस बीच आदिवासियों के हितों से जुड़े बोनस की रकम को डकारने का मामला गंभीर अपराध के दायरे में बताया जा रहा है। पीड़ितों ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग से भी की है। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने वन विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में ला खड़ा किया है। पूर्व विधायक के आरोपों को लेकर सुशासन की सरकार कब तक इस भ्रष्ट अफसर श्रीनिवास राव के ऊपर कार्रवाही करेगी यह देखना बाकी हैं.
