मंत्रिमंडल की रिक्त जगह……किस नेता और अफसर के इशारे से बढ़ रहा बिहार के लोगो का कारोबार…..किसके इशारे में चल रही सरकार…..

Hindu Times
छत्तीसगढ़ की साय सरकार को अट्ठारह माह से ऊपर का समय हो गया हैं.पर अभी भी सरकार में मंत्रियों के दो पद रिक्त हैं। इन पदों पर दो विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिलेगा।चर्चा यह भी थी कि एक मंत्री की संख्या और बढ़ाया जाएगा.ऐसा लगता है की टकटकी लगाए विधायक अब आस भी छोड़ चुके हैं।साय सरकार में आख़िर कौन है जो मंत्रिमंडल के विस्तार को होने से रोकवा रहा है.ऐसा लगता है की सरकार को रिक्त पड़े मंत्री बनाना जरूरी नहीं लग रहा है।अब तो विधानसभा के मानसून सत्र की भी घोषणा हो गई।आख़िर किस घड़ी का इंतजार हो रहा है।सूत्रो के अनुसार जून माह में गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद निर्णय हो सकता है पर अब भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही हैं।भाजपा का इतना कमजोर प्रदर्शन समझ से परे लगता हैं।इतनी व्यवस्थित पार्टी आज दो मंत्रियों का फैसला नहीं कर पा रही हैं.आख़िर किस कारण से पार्टी दो नए मंत्रियों का नाम फाइनल नहीं कर पाई।प्रदेश की साय सरकार और भाजपा का संगठन कमजोर नजर आ रहा हैं।
सरकार का संचालन क्या दिल्ली से……
कुछ लोगो का कहना है कि इस सरकार का संचालन कौन कर रहा है यह समझना ही कठिन हैं।वही कुछ लोग कहते हैं की इस सरकार को दिल्ली में बैठा एक पूर्व अफ़सर चला रहा हैं.सारे बड़े फ़ैसले उसके हिसाब से तय हो रहे हैं।उसके ख़ास अफ़सर आज सीएम सचिवालय में बैठे हैं।उसी अफ़सर का ख़ास शागिर्द आज मंत्री भी हैं.कुल मिलाकर इस बात पर सच्चाई भी नजर आती हैं.नौकरशाहों को नए मंत्री बनने से बड़ा नुक़सान हो सकता हैं.आज सीएम के पास बड़े बड़े विभाग हैं उन सभी विभाग का खेल भी बड़ा हैं।
सूत्रो के अनुसार साय सरकार में कोल ट्रांसपोर्ट के काम की बड़ी वसूली की जा रही है।परिवहन विभाग की अपनी मनमानी चरम पर हैं ।करोड़ो की वसूली किसके जेब में जा रही हैं।यह जाँच का विषय हैं।वैसे प्रदेश में बिहार के लोगो का बड़ा जमावड़ा आज कल हर जगह नजर आता हैं आख़िर बाहरी लोगो को बढ़ाने के पीछे किस नेता और अफ़सर का हाँथ हैं.छत्तीसगढ़ के नौकरशाहों की करतूतों को लेकर कई बार पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने पीएमओ में भी शिकायत की हैं।विधायक नाराज बैठे हैं उनका भी काम सीएम सचिवालय में नहीं हो रहा है।पार्टी के छोटे कार्यकर्ता अपना दुखड़ा रोने को मजबूर हैं।अब भाजपा के बड़े नेताओं को प्रदेश की बदहाल व्यवस्था को दुरुस्त करने की आवश्यकता हैं।
