भोग-विलासिता पाने के चक्कर मे व्यक्ति अनैतिक कार्य करने की और अग्रसर…….जगतगुरु स्वामी अनंतानंद स्वामी राजगुरु मठ काशी..

न जीवन शैली महंगी हो न ही धर्म
हाँ जी उपरोक्तानुसार यही सत्य है और वीडियो प्रमाण है कि मनुष्य अपने जीवन को चाहे तो प्रकृति आधारित रहकर जी सकता है और प्रकृति के साथ रहकर अपने को स्वस्थ भी रख सकता है।
आज के युग मे थोड़ा कठिन लगेगा लोगों को लेकिन क्या आधुनिकता के नाम पर एक-दो दिनों के लिए एडवेंचर लाइफ जीने वाले ढंग से या वातावरण से ज्यादा कठिन तो नही है प्राकृतिक जीवन शैली?फिर क्यों भोग-विलासिता पाने के चक्कर मे अनैतिक, अव्यवहारिक, भरस्टाचारी जीवन जीना सहजता से लोक में प्राप्त संसाधन को पाने की चेष्टा करे ना मिले तो इस प्रकार के प्राकृतिक जीवन का आनंद ले !
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आजकल भागमभाग की जिंदगी से निकल कर ही हम संतो की भी जीवनी आती है।शरीर तो वैराग्य ले लेता है लेकिन मन उस महंगे व्यवस्था से बाहर नही निकल पाता जिसके परिणामस्वरूप धर्म भी आजकल महंगा होता जा रहा ?
खैर परिवर्तन प्रकृति का नियम है कुछ दिन के भोग जीवन के बाद लौटेंगे ही सभी प्रकृति की तरफ, देखते है वह समय भी ।तब तक एक प्रयास करते रहना चाहिए सज्जन शक्तियों को की यह जीवन और धर्म अत्यधिक महंगा न हो जाए सभी के पहुच में रहे यह जिससे कि लोग सहजता से जी सके…. अनंतानंद
