इस देश की नारी आज भी अग्नि की तरह पवित्र है… अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी

देवियों का देश है भारत
आजकल मातृशक्ति भारत वर्ष में पिछले पांच सात वर्षों से अपने ही कपूतों के द्वारा लांक्षित की जा रही है!
यह लांछन आज ही नहीं है अपितू अनादी काल से चला आ रहा है!
क्योंकि?
जब-जब पुरुष अपने को कमजोर पाता है तो अपनी जननी के ऊपर ही प्रहार करता है!
कुछ ऐसा ही आजकल के कपूत कर रहे हैं।
हां यह बात अलग है कि वह सभी प्रसिद्ध लोग हैं? प्रसिद्ध तो रावण भी था? कंस भी था? इसका तात्पर्य यह नहीं कि उसके द्वारा कही गई बात अक्षरस: सत्य ही हो?
मैं जानता हूं ऐसे बहुत से देवियों को जिनके त्याग के सामने बड़े-बड़े तपस्वियों का त्याग भी बौना हो जाएगा।
मैं जानता हूं अनेको साध्वी चरित्र को की समाज उनको लांक्षित करता रहा लेकिन वो अपने माँ की सेवा करके उन्हें मौत के मुंह जीवित लेकर आ गयी!
हाँ यह बात अक्षरशः सत्य है जिसके लिए उसी के कुल खानदान के लोगों ने क्या-क्या बातें कहीं लेकिन मौन वह अपने परिवार समाज की मर्यादा के लिए सब कुछ सहती रही मैंने देखा है उस देवी को कि जब काशी के सबसे बड़े चिकित्सा कोई राय साहब ने कहा की ले जाइए अपनी मां को अभी कुछ दिन की मेहमान है लेकिन उस देवी ने अपने सेवा से अपनी मां को 2023 से अब तक इस लोक में जिंदा रखा है,आगे भी वह अपने जीवन को जिए ऐसा भगवान विश्वनाथ से हमारी प्रार्थना।(अभी वह माता अपने बेटी के सेवा से जीवित है)वह जो देवी जिनकी हम बात कर रहे है वो आधुनिक शिक्षा से डॉक्टर तक की डिग्री पाई है।
लेकिन अपनी मां की सेवा के मर्यादा के लिए वह नौकरी को छोड़कर के, आपाधापी की दुनिया को छोड़कर के, चकाचौंध से दूर रह करके, अगर सेवा के मार्ग को स्वीकार्य हुई है।
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तो आप कैसे कह सकते हैं की इस देश की नारियां का अपवित्र हो गई?
चरित्र का पैमाना मनुष्य का जीवन शैली होता है साहब, स्त्री पुरुष के चरित्र को केवल शारीरिक संबंधों के आधार पर प्रमाणित करना कहीं से भी भारतीय ज्ञान पद्धति के अनुकूल नहीं है!
आप कितने तपस्वी हैं? कितने त्यागी हैं? कितने तितूक्षु हैं? आप कितने अपने शब्दों के प्रति तटस्थ हैं? यह बहुत मायने रखता है आपके चरित्र के प्रामाणिकता के लिए!
इस देश की नारी आज भी अग्नि की तरह पवित्र है…
अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी
