काशी की जगह खुद को सुधारे आजकल के संत और निग्रहचार्य…..अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी*

काशी उत्तरप्रदेश हिंदू टाइम्स
काशी की जगह खुद को सुधारे आजकल के संत और निग्रहचार्य
अभी हाल ही में इटावा विषय को लेकर के कुछ संतों ने पक्ष और विपक्ष में अपनी बातें रखी!लेकिन कुछ लोगों ने जिस अमर्यादित तरीके से अपनी बातों को रखा वह निश्चित ही धर्म में कहीं से भी प्रशंसनीय नहीं है।जैसे कि एक निग्रहचार्य हैं यह व्यक्ति जीने खाने के लिए धर्म का चोला और ताना-बाना पहना है।जो प्रामाणिक रूप से देखेंगे तो जब इनके विवाह में ऐसी स्थिति बन गई की इन्हें अपना विवाह स्वयं कराना पड़ा तो ऐसे लोग काशी विद्ध्वत परिषद को गलत कहे और अमर्यादित भाषा बोले यह ठीक नहीं है।
अभी धर्म ऐसे संतो को समझ में नहीं आएगा जिनके विवाह के लिए योग्य ब्राह्मण ही उनको नहीं मिल पा रहा है!धर्म में एक तरफ ऐसे भी ब्राह्मण की चर्चा है जो शाम के भोजन के उपरांत सुबह का भोजन अपने घर में या संसाधन नहीं रखते थे? तो ऐसे भी ब्राह्मण हमको देखने को मिलते थे जो योद्धा हैं चाहे वह वशिष्ठ हो, परशुराम हो,द्रोणाचार्य ,कृपाचार्य हो।
जिसे ब्राह्मण शब्द ब्रह्मणबोध का ही, ज्ञान नहीं!वह समाज में कमाने खाने के लिए स्वतंत्र हैं ना कि काशी विद्वत परिषद के ऊपर प्रश्न उठाने के लिए ।
और रही बात सोशल मीडिया ने उनको एक व्यवस्था दी है तो वह सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की भी एक बहुतायत संख्या है जिन्हें कोई मतलब नहीं है चरित्र से, जिन्हें कोई मतलब नहीं है मर्यादा से,जिन्हें कोई मतलब नहीं है सुचिता से वह नग्न होकर के नृत्य करके और नाना प्रकार से केवल फेमस होना चाहते हैं? वैसे ही प्रकार की यह निग्रहचार्य जी जैसे लोग और ऐसे कुछ और भी लोग हैं!
काशी का यह जवाब है, आदमी बनाकर के काशी से दूर रहिए काशी से खेलने की जरूरत नहीं है…
अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी
