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शिक्षक वह शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ ही सीखने से है:जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती

हिन्दू टाइम्स काशी विश्वनाथ 

शिक्षक वह शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ ही सीखने से है।जिससे हम सीखते हैं,कुछ प्राप्त करते हैं ऐसी व्यवस्था को शिक्षक कहा गया है और आधुनिक तंत्र ने सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन जी के स्मृति में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस घोषित किया है।युवाओं को समाज के लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए की शिक्षक एक दायरे का नाम नहीं है,शिक्षक सीमित शब्द नहीं है,शिक्षक इतना विराट है कि जिसकी व्याख्या करने में अनंत समय लग सकता है।हर मनुष्य जीवन भर कुछ न कुछ सीखता ही हैं.

इसीलिए एक शब्द में जो कहा जाय कि जिस किसी से भी हम कुछ सीख रहे हैं वह हमारे लिए शिक्षक है!आज के दिन आधुनिक व्यवस्था में इस शिक्षक दिवस के रूप में 5 सितंबर को मनाया जा रहा है आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं! क्योंकि भारतीय दर्शन में सभी कुछ ना कुछ सीखते ही है एक दूसरे से…

शिष्यादिच्छेत्परां विद्याम्, शिष्यादिच्छेत्सुखं महत्। शिष्यादिच्छेत्परां कीर्तिं, तस्मात् शिष्यं समाचरेत्॥

अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी

Anil Mishra

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