*देवताओं का हक खाएंगे दुख तो होगा ही… नारायण……अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी*

देवताओं का हक खाएंगे दुख तो होगा ही…
नारायण
आज कहीं भी प्रवास करिए तो ध्यान में आता है हर व्यक्ति यह बात कहता है कि स्वामी जी हम बहुत दुखी हैं! बहुत दिनों से इस बात का चिंतन मंथन करने के बाद एक विषय ध्यान में आता है कि अभी सभी लोग पलायन करके अपने गांव से शहरों में आ गए हैं,महानगरों में आ गए हैं और हमारे यहां एक परंपरा रही है कुल देवता, कुलदेवी, ग्राम देवता, ग्राम देवी,स्थान देवता,वास्तु देवता ऐसे ही जो हमारे जो देवी देवता हैं उनका हक तो वर्ष में एक बार भी जो हमारे वहां गांव में रहने पर चढ़ना था भोग लगता था!वह भी अब बंद हो गया है।जब हम देवताओं से ही उनका हक छिनने लगेंगे,चुराने लगेंगे तो हमारे पास सुख कहां से आयेगा?
दूसरा जो देखा कि अपने गुरु को भी अधिकांश शिष्य अपने अनुसार चलाना चाहते हैं तो भाई गुरु को अपने अनुसार दुर्योधन ने चलाया, रावण ने चलाया और परिणाम हुआ समूल नास! वहीं गुरु के अनुसार भगवान राम जी चले,पांडव चले परिणाम आया संपूर्ण उत्कर्ष तो हमारे दुखों का कारण हम स्वयं हैं अपने अंदर परिवर्तन लाएं और अपने दुखों से निवृत्ति पाए!
अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी
