जुर्मनई दिल्ली

न्याय की आस में भटकते माता पिता…..सत्ता में बैठे लोगो से जुड़ा सवाल….राजनीतिक दबाव से मंत्री के ओएसडी की पत्नी को बचाने का खेल…..

मासूम बच्ची की मौत के बाद सिस्टम का ऐसा खेल चल रहा है.जिसकी हम लोग कल्पना भी नहीं कर सकते.सतपथी परिवार का कहना है की घटना के 40 दिन बीत जाने के बाद भी उनको पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं दी गयी है.एक्सीडेंट करने वाली शिखा अग्रवाल को तत्काल थाने से जमानत दे दी गयी.पुलिस इस मामले में कही भी गंभीरता नहीं दिखा रही है.हमारे मामले की सरकार सीआईडी से कराई जाये.हमारी बेटी को न्याय मिले.

रायपुर Hindu Times::

सड़क दुर्घटना में अपनी बेटी को खोने का दर्द किसी भी माता-पिता के लिए असहनीय होता है। बेटी के पिता एसबीआई के एजीएम आभास कुमार सतपथी और उनका परिवार भी इसी गहरे दुख से गुजर रहा है। उन्होंने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर हादसे की जांच में लेटलतीफी का आरोप लगाया!1अगस्त 2024 को उनकी 20 वर्षीय बेटी की सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। श्रेष्ठा, जो डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी और नीट परीक्षा में अच्छी रैंक भी हासिल कर चुकी थी। हादसे के दिन वह अपने पिता के लिए दवाई लेने निकली थी। तेलीबांधा के पास सर्विस रोड पर तेज गति व लापरवाही से विपरीत दिशा से आ रही कार (क्रमांक सीजी-14-एमपी-0686) ने उनकी स्कूटी को टक्कर मार दी। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार ने हादसे की जांच सीआईडी से कराने की मांग की है।

आभास सतपथी और उनका परिवार अपनी बेटी को खो चुके हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उनका कहना है कि जब तक सिस्टम की लापरवाही जारी रहेगी, निर्दोष लोग इसी तरह पीड़ित होते रहेंगे। इस घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है और समाज के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक लापरवाही के चलते मासूमों की जान जाएगी!

पूरा मामला
पुलिस के मुताबिक, 1 अगस्त को सुबह उन्होंने 11 बजे श्रेष्ठा सतपथी अपनी स्कूटी से प्रशासन तेलीबांधा चौक की ओर जा रही थी।तभी सर्विस रोड पर एसयूवी कार ने उसे टक्कर मार दी। कार को शिख. अग्रवाल  चला रही थीं, जो राज्य सेवा के अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल की पत्नी ड्राइविंग हैं।साथ ही प्रदेश के आदिवासी मंत्री केदार कश्यप के ओएसडी भी है. दुर्घटना के बाद शिखा अग्रवाल कार छोड़कर फरार हो गईं। वहां से गुजर रहे एक युवक और युवती ने श्रेष्ठा को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन सिर पर गंभीर चोट व अत्यधिक खून बहने से उसने दम तोड़ दिया।सत्ता में पद में बैठे लोग क्या कुछ भी करने की स्तिथि में है.इस मामले को लेकर काफी बवाल भी मचा था.पर एक बड़े पॉवरफुल लोगो से जुड़ा मामला है तो कोई भी सतपथी परिवार की सुनने वाला भी नहीं है.

•एक्सिडेंट करने वाली को जमानत देने का हुआ खेल•

एक्सीडेंट के बाद शिखा अग्रवाल ने कुछ देर बाद अपनी गाड़ी खम्हारडीह थाने में जाकर खड़ी कर दी, जिससे हिट एंड रन का केस नहीं बन सका और उन्हें थाने से ही जमानत मिल गई। हादसे के 10 दिन पहले भी शिखा का चालान गलत दिशा में गाड़ी चलाने पर किया गया था, जिससे पता चलता है कि उनकी ड्राइविंग में पहले भी लापरवाही रही है।

सतपथी परिवार का कहना है की हमारे मामले में राजनितिक दबाव के कारण न्याय मिलने में देरी हो रही है। उन्होंने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से सीआईडी जांच की मांग की है, ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिल सके और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। वे चाहते हैं कि हादसे के जिम्मेदार व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस तत्काल रद्द किया जाए और जांच निष्पक्ष रूप से हो। उनका कहना है, “हमारी बेटी तो लौटकर नहीं आएगी, लेकिन हम चाहते हैं कि उसकी मौत बेवजह न हो।

आखिर इस दर्दनाक घटना में आज कोई भी सतपथी परिवार के साथ क्यों नहीं है.एक मासूम की जिंदगी चली गयी.आज वो मासूम बच्ची जो इस दुनिया में नहीं है उसको न्याय चाहिए.सरकार को इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय देने की आवश्यकता है.सुशासन का नारा तभी सार्थक साबित होगा.

 

Anil Mishra

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