*मानव आज अपने आप को समय नहीं दे रहा है!…..अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी*

मनुष्य जीवन में व्यक्ति जो दुखी है उसका मूल कारण है कि वह अपने लिए समय ही नहीं दे रहा है!वह हर, वह चीज बाहर प्राप्त करना चाहता है जो उसके पास है, तो उसको कैसे सुख मिलेगा? जो उसके पास है, उसकी तलाश,वह बाहर कर रहा है! क्योंकि ?वह अपने आप को समय नहीं दे रहा है! इसीलिए तो गीता में कहा है”
न हि कश्चित् क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्
और जानते हैं वह अपने आप को समय क्यों नहीं दे रहा है क्योंकि ऊपर श्लोक में कह दिया है गीता में भगवान ने तृतीय अध्याय के पंचम श्लोक में कि मनुष्य बिना कार्य किया नहीं बैठ सकता। एक क्षण भी,तो ऐसी स्थिति में वह कार्य क्या कर रहा है!
वह स्वयं के लिए नहीं बैठ रहा है, बैठकर सोचे, बैठकर अपने बारे में चिंतन करें, वह सब कुछ सोच रहा है कि बाहर मिलेगा, चलो बाहर खोजते हैं और ऐसी अवस्था में उसको दुख हाथ लगता है और जीवन पर्यंत पर वह सुख की तलाश में दुखी भटकता रहता है!अपने आप को समय दीजिए आपके दुखों का निवारण स्वयं हो जाएगा।आपको मार्ग स्वयं मिलेगा कि क्या करने पर आपको सुख प्राप्त होगा.
अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी
