धर्म

*युगो-युगो से ज्ञान और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता हुआ काशी….अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी*

काशी रहे सदा अविनाशी नारायण……
काशी अपने आप में नाम ही पर्याप्त है चाहे वह जीवन संचालित करने के लिए हो या जीवन की पूर्णता के लिए।

युगो-युगो से ज्ञान और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता हुआ काशी,भगवान शंकर की कृपा को साक्षात्कार में परिवर्तित करता हुआ काशी, अपने आप को शव से शिव बनाने का माध्यम काशी, जीवन में अगर उतर जाए तो जीवन को आनंदवन प्रदान करने वाला काशी….जितनी महिमा गाइए उतनी ही कम है,बनारस सभी रसों का रंग है काशी।काशी में जो भी आया जिस भाव से आया उस भाव को काशी ने दिया, बस जरूरत रही तो भगवान विश्वनाथ विश्वेश्वर का बन जाने के भाव की…..यह भाव वह है जो मनुष्य को ईश्वर अनुभूति के लिए अत्यंत आवश्यक है।जीवन में अपने लौकिक संबंधों के आगे नृत्य कर करके मनुष्य अपने स्वाभाविक गुण को भूल जाता है,भूल जाता है कि वह ईश्वर का अंश है।

जब भी काशी का सानिध्य मिले कुछ पल निष्छल होकर भगवान विश्वनाथ के लिए समर्पित हो जायेंगे  तो स्वतः ही आपको आपके अविनाशक्त्व स्वरूप का बोध होगा और काशी की महिमा अपने आप आपके अंदर प्रकट होने लगती है….काशी मे मृत्यु प्राप्ति की अभिलाषा संसार के हर प्राणी की हैं पर जिस पर महादेव की कृपा होती है उसको यह सौभाग्य भी प्राप्त हो जाता हैं.आइये काशी से जुड़कर जीवन की सही मौलिकता को समझे.काशी की महिमा को व्यक्त कर पाना आसान भी नहीं हैं.काशी में अपने आपको सौप दो….उस दिन काशी की महत्ता शायद समझ पाओगे…..

अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनन्तानन्द सरस्वती ,राजगुरु मठ पीठाधीश्वर -काशी

Anil Mishra

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